
ट्रेनों के एसी क्लास में कंबल की जगह कॉटन से बनी दो परत वाली चादर (कंफर्टर) देने की तैयारी है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हफ्ते में दो से तीन बार इसे धोया जा सकेगा। अभी मिल रहे कंबलों को महीने में सिर्फ दो बार धोया जा रहा है। कंबल में कवर भी नहीं चढ़ाया जाता। इस कारण कंबल से गंध आने की शिकायत यात्री करते थे।
रेलवे बोर्ड के एक अफसर ने बताया कि दिल्ली-जम्मूतवी समेत दो ट्रेनों में प्रयोग के तौर पर कंफर्टर दिए जा रहे हैं। इन ट्रेनों में यात्रियों का फीडबैक अच्छा मिला है। इसके बाद सभी जोन को कुछ ट्रेनें चिन्हित करने के लिए कहा गया है। हर जोन में शुरू में एक-दो ट्रेनों में कंफर्टर दिए जाएंगे। यात्रियों की प्रतिक्रिया जानने के बाद अन्य ट्रेनों में यह सुविधा शुरू की जाएगी। भोपाल मंडल में सबसे पहले हबीबगंज-हजरत निजामुद्दीन भोपाल एक्सप्रेस में यह सुविधा शुरू करने की तैयारी है।
कंबल में कवर चढ़ाने की योजना फेल होने बाद लिया निर्णय :- साल भर पहले रेलवे बोर्ड ने निर्णय लिया था कि एसी कोच की सभी श्रेणियों में कंबलों में कवर चढ़ाए जाएंगे। एसी प्रथम श्रेणी में तो यह सुविधा शुरू की जा चुकी है, लेकिन एसी 2 व एसी 3 कोच में यह योजना लागू करने से रेल जोनों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इसकी वजह यह कि हर ट्रेन में एसी 2 और एसी 3 मिलाकर 5 से 6 कोच हैं। इनमें अलग-अलग जगह से बैठने वाले यात्रियों संख्या 400 से 450 तक रहती है। इतने कंबलों से रोज कवर निकालना और धोने के बाद लगाना संभव नहीं था। लिहाजा, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के एसी कोचों में कंबल में कवर लगाने की योजना शुरू नहीं हो पाई।
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