
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में मंदी के बावजूद सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर तैयारियों में ढिलाई बरतने नहीं जा रही है। माना जा रहा है कि सरकार डीजल और पेट्रोल जैसे परंपरागत ईंधन से चलने वाले वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए आने वाले समय में उन पर टैक्स का बोझ और बढ़ा सकती है। सरकार इस संबंध में अपने लक्ष्य को लेकर बिल्कुल स्पष्ट है।
नीति आयोग के CEO अमिताभ कांत का कहना है कि हम इंडस्ट्री के रोडमैप का इंतजार कर रहे हैं। हम उन उद्देश्य और लक्ष्यों को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं, जिन्हें हासिल करना चाहते हैं। हम यह निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ करना चाहते हैं। इस बीच, सूत्रों का कहना है कि जरूरी हुआ तो सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के मकसद से पेट्रोल-डीजल वाहनों पर टैक्स का बोझ बढ़ा सकती है, ताकि उनके इस्तेमाल को हतोत्साहित किया जा सके। इससे जो राशि आएगी, उसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने पर किया जाएगा।
GST दर 5 प्रतिशत घटाने का फैसला :- उल्लेखनीय है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी काउंसिल ने पिछली बैठक में ईवी पर जीएसटी की दर घटाकर पांच फीसद करने का फैसला किया है। इससे पूर्व आम बजट 2019-20 में भी इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए उपायों का एलान किया जा चुका है। इसके तहत अगर कोई व्यक्ति कर्ज लेकर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदता है, तो ब्याज के भुगतान के एवज में वह 1.5 लाख रुपये तक की छूट ले सकता है।
सरकार ने हमारे शहरों को स्वच्छ बनाने, नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने, तेल आयात कम करने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के आंदोलन को गति देने के लिए हरसंभव उपाय किया है। अब निजी क्षेत्र की बारी है कि वह भी अपना योगदान करे।
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