
यदि किसी करदाता के पास एक से अधिक मकान है और उसने दूसरा घर किराए पर दे रखा है या फिर वह खाली पड़ा है तो इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करते समय आयकर विभाग को ऐसी प्रॉपर्टी के बारे में जानकारी देना जरूरी है। इनकम टैक्स की गणना में रिहायशी प्रॉपर्टी से होने वाली आय शामिल करना आवश्यक है। यह जानकारी टैक्स बचाने के लिए भी जरूरी है। यदि करदाता ने किराए पर दिए गए मकान को खरीदने के लिए लोन लिया था और उसकी किस्तें अब भी चल रही हैं तो इस पर चुकाई जा रही ब्याज की रकम रिहायशी प्रॉपर्टी से आय मद में समायोजित (सेट-ऑफ) की जा सकती है।
दरअसल, ज्यादातर करदाता की कुल कर योग्य आय कई हिस्सों में बंटी होती है। मसलन, यदि करदाता नौकरी करता है तो वेतन से होने वाली आय और अन्य स्रोतों से आय। रिहायशी प्रॉपर्टी से हो रही आय भी इसका हिस्सा है। मतलब यह कि करदाता की कुल कर योग्य आय में प्रॉपर्टी को किराए पर देने से हो रही कमाई शामिल होती है। जाहिर है, इस पर टैक्स चुकाना पड़ता है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए आईटीआर फाइल करते समय करदाता के लिए रिहायशी प्रॉपर्टी का ब्रेक-अप देना अनिवार्य है।
आयकर अधिनियम के प्रावधान :- रिहायशी प्रॉपर्टी के किराए हो रही कमाई करदाता के कर योग्य आय में शामिल होती है। इस पर टैक्स की देनदारी बनती है। यदि प्रॉपर्टी किराए पर नहीं चढ़ाई गई है तो मालिक को संभावित किराए पर भी टैक्स चुकाना पड़ सकता है। तीन परिस्थितियों में किराए की आय करदाता की कुल आय में शामिल की जाती है
- करदाता खुद प्रॉपर्टी का मालिक हो
- प्रॉपर्टी मकान, ईमारत या प्लॉट के रूप में हो
- प्रॉपर्टी का इस्तेमाल मकान मालिक खुद अपना कारोबार या पेशे के संचालन के लिए नहीं, बल्कि किसी अन्य उद्देश्य के लिए कर रहा हो।
टैक्स लगाने से पहले डिडक्शन :- किराए पर चढ़ाई गई प्रॉपर्टी से होने वाली आय की गणना के दौरान करदाता आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत विभिन्न डिडक्शन या कटौती को घटाकर रिहायशी प्रॉपर्टी की आय से शुद्घ कर योग्य आय निकाल सकता है। इन डिडक्शंस में 30 फीसदी स्टैंडर्ड डिडक्शन, म्यूनिसिपल टैक्स डिडक्शन और होम लोन के ब्याज भुगतान का डिडक्शन शामिल है।
होम लोन पर ब्याज :- किसी प्रॉपर्टी को खरीदने, उसकी निर्माण लागत का खर्च उठाने या मरम्मत करने के लिए लिए गए लोन पर चुकाए गए ब्याज को संबंधित प्रॉपर्टी से होने वालीआय को 'इनकम टैक्स डिडक्शन' के रूप में क्लेम किया जा सकता है।
म्यूनिसिपल टैक्स :- अपनी प्रॉपर्टी पर वित्त वर्ष (जिसके लिए आयकर की गणना करनी है) के दौरान सरकार को दिया गया कोई भी टैक्स, जैसे हाउस टैक्स को डिडक्शन के रूप में क्लेम किया जा सकता है। यह करदाता को 'नेट ऐनुअल वैल्यू' से 30 फीसदी डिडक्शन की मंजूरी देता है।
ग्रॉस एनुअल वैल्यू और नेट एनुअल वैल्यू :- किसी प्रॉपर्टी का ग्रॉस एनुअल वैल्यू वह वैल्यू है, जिसपर पूरे साल मकान किराए पर लगा हो। इसकी गणना चार कारकों को ध्यान में रखकर की जाती हैः
1. सालान किराया
2. म्यूनिसिपल वैल्यू
3. उचित किराया और
4. स्टैंडर्ड रेंट
No comments:
Post a comment