
शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट आई। अंकों के लिहाज से निफ्टी में 9 महीने और सेंसेक्स में 11 अक्टूबर, 2018 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। प्रतिशत में यह अप्रैल, 2016 के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है। दरअसल, बजट के कुछ प्रावधान शेयर बाजार पर भारी पड़ गए। इनकम टैक्स पर सरचार्ज (अधिभार) बढ़ाए जाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बिदक गए, जो बाजार में भारी गिरावट की सबसे बड़ी तात्कालिक वजह बनी।
सेंसेक्स 792.82 अंक यानी 2.01 प्रतिशत गिरकर 38,720.57 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 252.55 अंक या 2.14 प्रतिशत गिरावट के साथ 11,558.60 के स्तर पर रहा। बीएसई का तेल-गैस इंडेक्स 2.73 प्रतिशत गिर गया। सरकारी बैंकों में 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी डालने का फैसला बाजार में जोश नहीं भर पाया। सरकार बैंकों के इंडेक्स में 30 अप्रैल, 2019 के बाद सबसे बड़ी इंट्रा-डे गिरावट आई। निफ्टी का पीएसयू बैंक इंडेक्स 5.90 फीसदी गिरकर बंद हुआ। प्राइवेट बैंकों का इंडेक्स भी 2.46 फीसदी गिर गया। बैंक निफ्टी में 2.77 फीसदी गिरावट आई और यह 30,603.85 के स्तर पर बंद हुआ।
इंडेक्स गिरावट (प्रतिशत में)
रियल्टी 3.49
ऑटो 3.26
मीडिया 3.26
फाइनेशियल सर्विसेस 2.90
मेटल 2.11
फार्मा 1.57
एफएमसीजी 1.26
आईटी 1.12
पीएनबी का शेयर 11 फीसदी गिरा :- भूषण पावर एंड स्टील के 3,800 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आने से बीएसई पर पंजाब नेशनल बैंक का शेयर 8.95 रुपए (10.95 प्रतिशत) की गिरावट के साथ 72.80 रुपए पर बंद हुआ। पीएनबी के शेयर में यह मई, 2018 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है।
बिकवाली के कारण :- बजट दस्तावेजों के मुताबिक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) पर इनकम टैक्स सरचार्ज बढ़ा दिया गया है। इसके कारण ऐसे निवेशकों पर लंबी अवधि के पूंजीगत लाभकर का बोझ बढ़ जाएगा। यही वजह रही कि एफपीआई ने ताबड़तोड़ बिकवाली की।
न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता :- बजट में लिस्टेड कंपनियों की न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता 25 से बढ़ाकर 35 प्रतिशत करने की घोषणा के कारण बाजार में एक साथ भारी मात्रा में अतिरिक्त शेयर जारी किए जा सकते हैं। टीसीएस, विप्रो और डीमार्ट समेत 1,174 लिस्टेड कंपनियों को प्रवर्तकों की कुल 3.87 लाख करोड़ रुपए की शेयरधारिता कम करनी होगी। बड़े पैमाने पर आपूर्ति बढ़ने से शेयरों के दाम गिरेंगे।
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