
मानसून ब्रेक के कारण खरीफ की फसल सूखने का खतरा बढ़ गया है। छिंदवाड़ा सहित 13 जिलों में अभी तक सामान्य से काफी कम बरसात हुई है। औसत रूप से मप्र में गत वर्ष कि तुलना में अभी तक 10 प्रतिशत कम पानी गिरा है। हालांकि, मौसम विज्ञानियों का कहना है कि रविवार के बाद प्रदेश में मानसून फिर सक्रिय होने जा रहा है। इससे एक बार फिर झमाझम बरसात का दौर शुरू होगा। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों से निराश होने के बजाय सोयाबीन के खेतों में कुलपा चलाकर नमी बरकरार रखने और धान के नए रोपे फिलहाल नहीं लगाने की सलाह दी है। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक वर्ष-2018 में मप्र में 19 जुलाई तक 334.0 मिमी. बरसात हुई थी, जबकि इस वर्ष 19 जुलाई की सुबह तक 272.7 मिमी. हुई है।
इस तरह अभी तक पिछले साल की तुलना में 10 प्रतिशत कम बरसात हुई है। छिंदवाड़ा सहित प्रदेश के 13 जिलों में सामान्य से काफी कम बरसात हुई है। जबकि, 27 जिलों में सामान्य बरसात हो चुकी है। 11 जिलों में सामान्य से अधिक पानी गिर चुका है। उधर, जिन स्थानों पर बरसात नहीं हुई है, वहां खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन, मक्का, धान के चौपट होने का खतरा मंडराने लगा है।
अच्छी बरसात के आसार :- वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ममता यादव के मुताबिक बंगाल की खाड़ी और उससे लगे क्षेत्र पर एक ऊपरी हवा का चक्रवात बना हुआ है। साथ ही गंगानगर से बंगाल की खाड़ी तक एक ट्रफ बना हुआ है। यह ट्रफ मप्र के सीधी से होकर गुजर रहा है। इन सिस्टम के कारण मानसून एक बार फिर सक्रिय हो गया है। इसके प्रभाव से रविवार से प्रदेश में अच्छी बरसात का दौर शुरू होने की संभावना है।
निराश न हों किसान :- कृषि विशेषज्ञ और पूर्व कृषि संचालक डॉ. जीएस कौशल ने किसानों से मानसून की खेंच बढ़ने से निराश नहीं होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने सोयाबीन लगाया है, वे खेतों में कुलपा चलाएं इससे मिट्टी में नमी बनी रहेगी। जिन किसानों के पास सिंचाई का साधन हैं, वे स्प्रिंगकलर से हल्की सिंचाई कर फसल को बचा सकते हैं। जिन किसानों ने धान अभी तक नहीं लगाई है, वे बरसात के पानी का इंतजार करें। साथ ही वर्तमान में भूलकर भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल न करें। विकल्प के रूप में वे जैविक खाद का उपयोग करें।
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