
विशाल क्षेत्र में फैले ग्वालियर दुर्ग पर घूमते समय हमारी आंखों से ऐसी धरोहर ओझल रहती है, जिसका अपने आप में विशेष महत्व होता है। दुर्ग पर हम या तो उरवाई गेट से जाते हैं या फिर किला गेट से। जबकि इसका एक और गेट है, उसका नाम है ढोडापुर गेट। इस गेट का भी ऐतिहासिक महत्व है। कहा जाता है सालों पहले आगरा से ग्वालियर दुर्ग पर जब जहांगीर का आना
हुआ था, तब इस गेट का निर्माण कराया गया था। वह मुगल काल था और शासक के रूप में गद्दी पर धोमल शाह थे। इसी रास्ते से होकर जहांगीर ग्वालियर दुर्ग पर पहुंचे। उन्होंने इस धरोहर की आगरा पहुंचकर प्रशंसा की थी। धोमल शाह के बाद अलग-अलग शासकों ने अन्य दो गेटों का निर्माण कराया। सुगम मार्ग और गूजरी महल तक पहुंचने के लिए मानसिंह ने किला गेट का निर्माण कराया। वहीं उरवाई गेट का निर्माण ब्रिटिश काल में हुआ था। ढोडापुर गेट कोटेश्वर की तरफ से गौर से देखने पर नजर आता है। जिसका उल्लेख किताबों में हमें पढ़ने को भी मिलता है। इस फोटो को हमारे फोटो जर्नालिस्ट मनीष शर्मा ने डिफरेंट एंगल से अपने कैमरे में कैद किया।
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