
कभी अपनी खूबसूरती से दुनिया का दिल जीतने वाली इन दो अभिनेत्रियां पर अब उम्र का असर साफ़ दिखता है लेकिन, तस्वीरें बता रही हैं कि इनका जादू आज भी कायम है! आशा पारेख और वहीदा रहमान इन दोनों अभिनेत्रियों ने अपनी-अपनी फ़िल्मों के जरिये एक मजबूत पहचान उस वक़्त बनाई थी जब एक से बढ़कर एक दिग्गज एक्टर्स सक्रिय थे। आशा पारेख के बारे में आपको याद दिला दें कि 1959 से 1973 के बीच वो हिंदी फ़िल्मों की टॉप अभिनेत्रियों में शुमार रही हैं। स्क्रीनिंग के दौरान आशा पारेख और वहीदा रहमान कुछ इस अंदाज़ में कैमरे में कैद हुईं। आप देख सकते हैं दोनों इस मौके पर काफी सोबर लग रही हैं और उम्र के इस पड़ाव पर भी इनका चार्म बरकरार है। तस्वीर में लेफ्ट में आशा पारेख और राईट में वहीदा नज़र आ रही हैं!
फ़िल्मों के अलावा आशा पारेख फ़िल्मों से जुड़े कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहीं। 1994 से 2000 तक सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन की अध्यक्ष रहीं। साथ ही सेंसर बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव भी इन्हें ही हासिल है। साल 1992 में कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुए वह पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित की गईं। जबकि वहीदा रहमान की बात करें तो उर्दू शब्द 'वहीदा' का अर्थ लाजवाब ही होता है। इसी साल फरवरी में उन्होंने अपना 81 वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया है। ‘प्यासा’ ‘कागज के फूल’, ‘चौदहवीं का चांद’ और ‘साहब बीवी और गुलाम’ के अलावा नेशनल अवॉर्ड विनिंग फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में राज कपूर के साथ वहीदा ने जो हीराबाई का किरदार निभाया था, उसे भला कौन भूल सकता है? ‘गाइड’ और ‘नीलकमल’ भी उनके कैरियर की यादगार फ़िल्मों में शुमार है।
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