
शत्रुघ्न सिन्हा पटना साहिब से हो सकते उम्मीदवार :- खास बात यह भी है कि पटना साहिब सीट से भाजपा के बागी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस से उसी सीट पर चुनाव लड़ सकते हैं। इसके पहले उनके राजद से चुनाव लड़ने की भी चर्चा तेज रही थी। शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस से लड़ें या राजद से, उनका महागठबंधन उम्मीदवार होना तय माना जा रहा है। भाजपा के एक और बागी दरभंगा के सांसद कीर्ति आजाद पहले ही कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। उनका दरभंगा से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है।
मदन मोहन झा बोले: सीट फिक्स, ऐलान शेष :- विदित हो कि राहुल गांधी के अरुणाचल प्रदेश के चुनावी दौरे से दिल्ली लौटने के बाद उनकी राजद नेता तेजस्वी यादव से दिल्ली में वार्ता की। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. मदन मोहन झा ने कहा कि तेजस्वी यादव को सीटों की घोषणा के लिए अधिकृत किया गया है। सीटों का फैसला हो गया है, अब केवल ऐलान शेष है। हालांकि, अंदरखाने से आ रही जानकारी के अनुसार, चार या पांच सीटों पर मामला फंसा हुआ है। राजद और कांग्रेस, दोनों ही दल पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, पश्चिम चंपारण व पूर्वी चंपारण सीटों पर दावेदारी कर रहे हैं। राजद में सीटों की संख्या से अधिक पूर्णिया, मधुबनी व दरभंगा सीटों के कारण मामला फंसा है। पिछले लोकसभा चुनाव में दरभंगा और मधुबनी में राजद ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, जबकि पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीवार ने चुनाव लड़ा था। कांगेस दरभंगा से कीर्ति आजाद को प्रत्याशी बनाना चाहती है। कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि पूर्वीचंपारण व पश्चिम चंपारण सीटों को भी कांग्रेस अपने खाते में चाहती है। उम्मीद है कि इसपर भी बात बन जाएगी।
कहा जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को नौ से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व इस बात को लेकर लचीला रवैया अपनाए हुए हैं। कांग्रेस की बिहार इकाई 11 सीटों के लिए दबाव बनाए हुए थी। इसी कारण मामला फंसा हुआ था।
इस कारण बनी बात :- महागठबंधन में शामिल एक घटक दल के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बिहार में तालमेल के बिना हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है। इस बात का सभी घटक दलों के नेतृत्व का एहसास है। इस कारण ही महागठबंधन में सीटों पर बात बनी।
विधानसभा चुनाव की रणनीति बन रही थी बाधक :- महागठबंधन में सीटों को लेकर हो रही इतनी माथापच्ची और घटक दलों के अडिय़ल रवैये का एक कारण लोकसभा चुनाव के ठीक अगले साल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का होना है। जाहिर सी बात है कि लोकसभा चुनाव में सीटों की संख्या को विधानसभा चुनाव के समय भी सीट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा। इस कारण भी कुर्बानी या त्याग के भाव का अभाव दिख रहा था। लेकिन हाई लेवल हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया है।
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