
गांवों के सरकारी स्कूलों के ज्यादातर बच्चे हिंदी नहीं पढ़ पाते हैं, अंग्रेजी और छोटा-मोटा हिसाब करने में भी परेशानी होती है। इस समस्या को दूर करने की कोशिश 100 युवा प्रोफेशनल कर रहे हैं। शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर धार जिले के सागोर और इसके आसपास के करीब 20 गांवों में जाकर युवा हर सप्ताह सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। ये चार साल में एक हजार बच्चों को शिक्षा दे चुके हैं और करीब इतने ही बच्चों को हर सप्ताह पढ़ा रहे हैं।
स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, कम्प्यूटर, आर्ट्स एंड क्रॉफ्ट की कक्षाएं लगाई जा रही हैं। युवाओं ने पार्थ नाम का एनजीओ बनाया है। इसमें सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को शामिल किया गया है। सागोर, अचाना, गोदगांव, कुवरसी, पिपलिया, जलवाई, गोविंदपुरा, सुंदरपुरा सहित कई गांवों के बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है।
दो कम्प्यूटर केंद्र खोले, गांव वाले भी साथ हो गए :- सागोर के गोपालसिंह ठाकुर का कहना है कि चार साल पहले चंद लोग जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने, किताबें और कपड़ों की व्यवस्था करने के लिए सामने आते थे, लेकिन अब गांव वाले भी साथ दे रहे हैं। जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता है, उन्हें आर्ट्स से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए इंदौर से कलाकारों को बुलाकर बच्चों को आर्ट्स एंड क्रॉफ्ट सिखाया जा रहा है। हर युवा महीने के आखिरी दिन अपनी कमाई का कुछ हिस्सा इसके लिए देता है।
अब तक करीब एक लाख रुपए की राशि एकत्रित कर बच्चों के शिक्षा दी जा चुकी है। इससे दो कम्प्यूटर केंद्र भी शुरू किए गए हैं। यहां हर कक्षा के बच्चों को कम्प्यूटर शिक्षा दी जा रही है। अब गांवों की पढ़ी-लिखी 40 लड़कियां भी टीम में शामिल हो गई हैं। रवि पटेल, अंकित रघुवंशी, अमित सावलेचा, गोकुल सिसोदिया, गणेश तंवर, विशाल चौधरी, राज केवट, प्रकाश गेहलोत, पीयूष प्रजापत, सोना चौधरी, दिव्या पवार, रोशनी पटेल, कीर्तिका पाटीदार और शिया जायसवाल काम के साथ इस कोशिश में योगदान दे रही हैं।
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