
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने साक्षी मेडिकल कॉलेज गुना के 122 एमबीबीएस छात्रों को इंदौर, उज्जैन व भोपाल के 5 निजी मेडिकल कॉलेजों पीपुल्स, इंडेक्स, एलएन, आरर्डीगार्डी व चिरायु में शिफ्ट किए जाने की व्यवस्था दी। इसी के साथ याचिकाओं का निराकरण कर दिया गया। मंगलवार को न्यायमूर्ति आरएस झा व जस्टिस संजय द्विवेदी की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता एनी व अपूर्वा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को विधिवत काउंसिलिंग के जरिए साक्षी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटें आवंटित की गई थीं। लेकिन बाद में यह मेडिकल कॉलेज अमान्य हो गया।
सरकार ने इसका सर्टिफिकेट रद्द कर दिया और एमसीआई ने भी मान्यता रद्द कर दी। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि इस निजी मेडिकल कॉलेज में एमसीआई के मापदंड के अनुसार सुविधाएं नहीं थीं। यहां न तो 300 बिस्तरों का अस्पताल है और न ही ब्लडबैंक व मरीज भी नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठा कि आखिर यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों की एमबीबीएस की डिग्री का अर्थ क्या रह जाएगा? इन्हीं बिंदुओं पर गौर करने के बाद कॉलेज को अमान्य कर दिया गया। इसी के साथ यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया। लिहाजा, वह न्यायहित में हाईकोर्ट चले आए। हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद सत्र 2016-17 के एमबीबीएस विद्यार्थियों को अन्य निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की व्यवस्था दे दी।
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