
माघ मास पुण्यकालिक मास कहलाता है। इस माह में किया गया दानपुण्य हजारों गुना फल प्रदान करता है। सदियों से माघ मास में सरोवर तीर्थ तट पर स्नानदान करने का महत्व है। माघ मास में कल्पवास किया जाता है। अर्थात एक माह तक गंगादि तटों पर कुटिया बनाकर साधना करने का भी विधान है। यह माह इस वर्ष कुंभ योग लेकर आया है, इसलिए और भी ज्यादा पवित्र है।
ज्योतिषाचार्य प. विनोद गौतम का कहना है कि 21 जनवरी से माघ मास प्रारंभ हुआ, जिसका 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा के साथ समापन होगा। माघ मास के देवता भगवान विष्णु हैं और आधार देवी गंगा मइया है। गंगा में स्नान करना ज्यादा पुण्यदायी होता है। ऊनी वस्त्रों का दान करना शुभ माना गया है। इस माह में शिवलिंग का निर्माण नहीं किया जाता है। शिवलिंग निर्माण का पवित्र माह श्रावण मास है। माघ मास में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना पुण्यकारी है। इसमें स्नानदान करना ही महत्वपूर्ण है। श्रीमद् भागवत कथा पुराण सुनना पुण्यदायी माना है।
माघ माह के मध्य 24 जनवरी को गणेश चतुर्थी, 31 जनवरी को एकदशी, 5 फरवरी को गुप्त नवरात्री, 10 फरवरी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती का वसंत पंचमी पर्व और 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा व संत रविदास जयंती आदि मुख्य पर्व हैं। मां चामुंडा दरबार के पुजारी प. रामजीवन दुबे का कहना है कि यह माह पुष्य नक्षत्र से प्रारंभ हुआ है, इसलिए इस माह के मध्य शुभ कार्य करने से पुण्य लाभ मिलता है। स्नानदान करने का भी शुभ योग्य है। भूमि, भवन, वाहन, ज्वेलरी व अन्य उपयोगी सामग्री कर सकते हैं। ज्योतिष के जानकार इंजी. अशोक शर्मा ने कहा कि माघ माह का हर दिन चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। 24 को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी हैं, इसे तिल चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन महिलाएं व्रत भी रखती हैं। सूर्य उत्तरायण हो गए हैं। यह 6 माह तक उत्तरायण ही रहेंगे। इस माह विवाह के भी शुभ मुहूर्त अधिक तिथियां हैं।
शिवलिंग निर्माण के दौरान श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ :- सोमवार से माघ मास प्रारंभ होते ही शहर में पुण्य कार्यों का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। माह के पहले दिन से राजीव गांधी नगर में कल्याण उत्सव समिति एवं सांस्कृतिक उत्सव कल्याण समिति के तत्वावधान में शिवलिंग का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ। समिति अध्यक्ष सचिन मिश्रा ने बताया कि सोमवार को 14400 शिवलिंग बनाए गए। वहीं मंगलवार को 20300 शिवलिंग निर्मित किए गए। शिवलिंग निर्माण का कार्य 18 फरवरी तक चलेगा। यहां पर शिवलिंग विसर्जन कुंड बनाया गया है, जिसमें नर्मदा का जल भरा है। इसी में प्रतिदिन निर्मित शिवलिंगों को विसर्जित किया जाएगा। शिवलिंग निर्माण कार्य के दौरान सैकड़ों लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
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