
कांग्रेस के वचन पत्र में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा अहम था। सरकार में आते ही कांग्रेस ने कैबिनेट में फैसला भी कर लिया पर अनुपूरक बजट में इसके लिए कोई खास इंतजाम नहीं किया गया है। 35 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है और पांच हजार करोड़ की व्यवस्था की गई है। विभिन्न् किसान संगठन भी कर्जमाफी में देरी से नाराज हैं और वे आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। इधर, भाजपा किसान मोर्चे ने भी कर्जमाफी पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने भी सबसे पहले कर्जमाफी की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे। इसके बाद किसानों का दो लाख रुपए तक का कर्जमाफ करने के दिशा-निर्देश जारी किए गए। माना जा रहा है कि लगभग 33 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिलेगा पर अनुपूरक बजट में की गई व्यवस्था से स्पष्ट है कि सरकार खाली खजाने में से इससे अधिक रकम कर्जमाफी के लिए नहीं निकाल सकती थी।
ऊंट के मुंह में जीरा बराबर : रजनीश अग्रवाल :- भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस ने वचन पत्र में जो वादा किया, उसके मुताबिक नियमित और डिफॉल्टर किसानों के सभी प्रकार के लोन यानी फसलीय और गैर फसलीय कर्ज माफ करना था, जिनके लिए पांच हजार करोड़ ऊंट के मुंह में जीरा समान है। दस दिन के बजाय सौ दिन में भी सौ किसानों के कर्ज माफ होने की प्रक्रिया का पालन सरकार नहीं कर पा रही है। हम किसानों से यही आग्रह करेंगे कि बैंक जाएं और पता लगाएं कि उनका दो लाख का लोन माफ हुआ या नहीं। लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस कर्ज वसूली पर रोक लगा ले पर उसके बाद किसानों को प्रताड़ित करने का काम होगा। जैसा कर्नाटक में हो रहा है, जहां मात्र 800 किसानों का कर्ज माफ हुआ है।
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