
दीपावली पर अक्सर आपने बड़े बुजुर्गों को कहते हुए सुना होगा कि रात भर जागना चाहिए। कहते हैं कि दिवाली की रात में मां लक्ष्मी हर घर में आती हैं। आजकल लोग रात-भर जागने के लिए ताश के पत्ते खेलते हैं। मगर, इससे घर में आने वाली लक्ष्मी क्या आपके घर में ठहरेंगी? यह अहम सवाल है क्योंकि हम लोगों ने आधी बात को ही आत्मसात किया है। इंदौर के ज्योतिषविद आलोक खंडेलवाल बताते हैं कि दिवाली की रात में जागते हुए श्रीसूक्त का पाठ किया जाता है। इससे धन की देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और चिर स्थायी होकर ठहरती हैं। श्रीसूक्त का वर्णन ऋग्वेद में मिलता है। श्रीसूक्त में सोलह मंत्र हैं। यदि आप इनका पाठ संस्कृत में नहीं कर सकते हैं, तो हिंदी में उसका अनुवाद बोलकर भी लाभ ले सकते हैं, बशर्ते मन में धारणा और विश्वास होना चाहिए।
वृष लग्न में करें पूजन :- दीपावली धन और समृद्धि का त्योहार है। हर व्यक्ति मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन प्राप्त करने के उपाय करता है। एस्ट्रोलोक के फाउंडर आलोक खंडेलवाल कहते हैं कि स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए स्थिर लग्न वृष में पूजन करना चाहिए, जो प्रायः गोधूलि की वेला में होता है। इसके अलावा स्थिर लग्न सिंह, वृश्चिक और कुंभ हैं। मगर वृष लग्न में पूजन करना इसलिए ज्यादा श्रेष्ठ है क्योंकि यह भूमि तत्व का है और इसके देवता शुक्र होते हैं, जो भौतिक सुखों के स्वामी हैं।
अष्टलक्ष्मी का करें पूजन :- उन्होंने बताया कि प्रायः सभी घरों में पूजा की तैयारी होती है, पूजा नहीं होती है। दिवाली की रात में लक्ष्मीजी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त, कनकधारा स्रोत आदि का पाठ करना अहम होता है। दक्षिण भारत में दिवाली की रात में हवन कर मां लक्ष्मी के निमित्त लाई गई सामग्री को चढ़ाया जाता है। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। ज्यादातर लोग सिर्फ धन लक्ष्मी का ही पूजन करते हैं, जबकि उन्हें अष्टलक्ष्मी का पूजन करना चाहिए। शास्त्र के ज्ञाताओं ने लक्ष्मी के आठ रूपों का वर्णन किया है जिनमें आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी प्रसिद्ध हैं।
भगवान विष्णु और गणेश की करें आराधना :- इसके साथ ही दीपावली के दिन प्रात: भगवान विष्णु का स्मरण करें क्योंकि जहां नारायण हैं, वहीं श्रीलक्ष्मी भी होंगी। श्री गणपति की स्थापना होने पर लक्ष्मी की पूर्ण स्थापना होती है। बिना गणपति के लक्ष्मी साधना अधूरी रहती है। आलोक खंडेलवाल बताते हैं कि इस दिन पटाखे चलाने की भी परंपरा है, जिसका दर्शन यह है कि जब व्यक्ति बाहर शोर करता है, बाहर के शोर को सुनता है, तो उसके मन का शोर शांत होता है और वह ध्यान की दिशा में आगे बढ़ता है।
श्री लक्ष्मीसूक्तम् पाठ पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥
- हे लक्ष्मी देवी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल-दल के समान नेत्रों वाली, कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं। सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं। आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं। हे देवी! आपके चरण-कमल सदैव मेरे हृदय में स्थित हों।
पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्॥
- हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख, ऊरु भाग, नेत्र आदि कमल के समान हैं। आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूं, आप मुझ पर कृपा करें।
अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥
- हे देवी! अश्व, गौ, धन आदि देने में आप समर्थ हैं। आप मुझे धन प्रदान करें। हे माता! मेरी सभी कामनाओं को आप पूर्ण करें।
पुत्र पौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवेरथम्। प्रजानां भवसी माता आयुष्मंतं करोतु मे॥
- हे देवी! आप सृष्टि के समस्त जीवों की माता हैं। आप मुझे पुत्र-पौत्र, धन-धान्य, हाथी-घोड़े, गौ, बैल, रथ आदि प्रदान करें। आप मुझे दीर्घ-आयुष्य बनाएं।
धनमाग्नि धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसु। धन मिंद्रो बृहस्पतिर्वरुणां धनमस्तु मे॥
- हे लक्ष्मी! आप मुझे अग्नि, धन, वायु, सूर्य, जल, बृहस्पति, वरुण आदि की कृपा द्वारा धन की प्राप्ति कराएं।
वैनतेय सोमं पिव सोमं पिवतु वृत्रहा। सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु सोमिनः॥
- हे वैनतेय पुत्र गरुड़! वृत्रासुर के वधकर्ता, इंद्र, आदि समस्त देव जो अमृत पीने वाले हैं, मुझे अमृतयुक्त धन प्रदान करें।
न क्रोधो न च मात्सर्यं न लोभो नाशुभामतिः। भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां सूक्त जापिनाम्॥
- इस सूक्त का पाठ करने वाले की क्रोध, मत्सर, लोभ व अन्य अशुभ कर्मों में वृत्ति नहीं रहती, वे सत्कर्म की ओर प्रेरित होते हैं।
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गंधमाल्यशोभे। भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरी प्रसीद मह्यम्॥
- हे त्रिभुवनेश्वरी! हे कमलनिवासिनी! आप हाथ में कमल धारण किए रहती हैं। श्वेत, स्वच्छ वस्त्र, चंदन व माला से युक्त हे विष्णुप्रिया देवी! आप सबके मन की जानने वाली हैं। आप मुझ दीन पर कृपा करें।
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम्। लक्ष्मीं प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम॥
- भगवान विष्णु की प्रिय पत्नी, माधवप्रिया, भगवान अच्युत की प्रेयसी, क्षमा की मूर्ति, लक्ष्मी देवी मैं आपको बारंबार नमन करता हूँ।
महादेव्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्॥
- हम महादेवी लक्ष्मी का स्मरण करते हैं। विष्णुपत्नी लक्ष्मी हम पर कृपा करें, वे देवी हमें सत्कार्यों की ओर प्रवृत्त करें।
चंद्रप्रभां लक्ष्मीमेशानीं सूर्याभांलक्ष्मीमेश्वरीम्। चंद्र सूर्याग्निसंकाशां श्रिय देवीमुपास्महे॥
- जो चंद्रमा की आभा के समान शीतल और सूर्य के समान परम तेजोमय हैं उन परमेश्वरी लक्ष्मीजी की हम आराधना करते हैं।
श्रीर्वर्चस्वमायुष्यमारोग्यमाभिधाच्छ्रोभमानं महीयते। धान्य धनं पशु बहु पुत्रलाभम् सत्संवत्सरं दीर्घमायुः॥
- इस लक्ष्मी सूक्त का पाठ करने से व्यक्ति श्री, तेज, आयु, स्वास्थ्य से युक्त होकर शोभायमान रहता है। वह धन-धान्य व पशु धन सम्पन्न, पुत्रवान होकर दीर्घायु होता है।
॥ इति श्रीलक्ष्मी सूक्तम् संपूर्णम् ॥
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