
गणेश उत्सव में वैसे भगवान गणेश दस दिन की मेहमानी करते हैं और दसवें दिन उनकी धूमधाम से विदाई होती है। इससे हटकर कुछ भैंसदेही में देखने को मिलता जहां एक घर में विराजे पेड़ की जड़ से बने भगवान गणेश की पूजा पूरे साल होती है। इन दिनों आसपास के लोग भी पूजा करने आ रहे है। पेड़ की जड़ से बने गणेश के बारे बताया जाता है कि भैसदेही के प्रमोद महाले को आठ साल पहले सपना आया था की कुकरू के जंगल में एक कोहा के पेड़ की जड़ में गणेश जी की प्रतिमा निकली है। तब प्रमोद महाले ने दुसरे दिन जाकर जड़ से बनी प्रतिमा को विधि विधान से घर लाकर स्थापना की और रोज उनकी पूजा पूरे उत्साह के साथ की जा रही है।
भैंसदेही कृषि उपज मंडी के अध्यक्ष प्रमोद महाले के यह गणेश प्रतिमा लगभग आठ साल पहले कुकर के घने जंगल में कोहा के पेड़ के जड़ के नीचे से खुदाई कर निकली गाई है। खुदाई कर भागवन गणेश की प्रतिमा को पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना कर घर पर स्थापना कि गई। प्रमोद महाले का कहना है कि जब से उनके निवास पर भागवन गणेश की जड़ से बनी यह प्रतिभा विराजमान है तब से लेकर अब तक उनके घर में खुशी ही खुशी है।
प्रमोद महाले जब भी कोई काम करते हैं तो वह सबसे पहले सिद्धि विनय गणेश जी का आशीर्वाद ही ले कर सारे काम करते हैं। इस गणेश प्रतिमा के दर्शन के लिये गणेश उत्सव में प्रमोद महाले के निवास पर भक्तों की भारी भीड़ लग जाती है। सिद्धि विनय गणेश जी से जो कुछ भी मनोकामना मांगने पर सिद्धि विनय गणेश भगवान भक्तों की मनोकामना भी पूरी कर देते है। भगवान गणेश के दर्शन करने के लिये दूर-दूर से भक्त आते हैं।
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