
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को 43 पैसे गिरकर 69.06 के स्तर पर पहुंच गया। पहली बार रुपया 69 का स्तर पार करके बंद हुआ। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत देने वाले फेडरल रिजर्व के चेयरमैन के बयान के बाद दुनिया भर की मुद्राओं के मुकाबले डॉलर एक साल तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। पिछले 29 मई के बाद की रुपये में यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। अमेरिकी डॉलर की मजबूती के चलते रुपये की कीमत को भारी धक्का लगा। घरेलू मुद्दों के चलते भी निवेशकों का भरोसा डगमगाया। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने सीनेट में अर्थव्यवस्था में मजबूती के चलते ब्याज दर धीरे-धीरे बढ़ने की उम्मीद जतायी। इसके बाद कई मुद्राओं के मुकाबले डॉलर एक साल तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। दो साल की ट्रेजरी यील्ड कई साल के उच्चतम स्तर 2.624 फीसद पर पहुंच गई। इसके बाद भारत समेत उभरती अर्थव्यवस्थाओं की करेंसी में भारी गिरावट आ गई।
देश में राजनीतिक मसला भी रुपये पर भारी पड़ा। संसद में मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा होगी। ट्रेडर और जानकारों का कहना है कि रुपये की गिरावट थामने के लिए सरकारी स्तर पर कोई कदम न उठाए जाने की वजह से इसका एक्सचेंज रेट घटकर 69.08 का स्तर छू गया। हालांकि बाद में रुपया 69.05 पर बंद हुआ। इससे पहले 28 जून को रुपये ने कारोबारी सत्र के दौरान 69.10 के सर्वकालिक निचले स्तर को छू लिया था लेकिन रिजर्व बैंक के दखल के चलते शाम तक सुधार हो गया।
अमेरिका के साथ कारोबारी तनाव के बीच चीन के कदम से भी बाजार का मूड खराब हुआ। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चायना ने युआन की कीमत एक बार फिर घटा दी। इस कदम को अमेरिका के खिलाफ माना जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार की चिंताओं के चलते ज्यादातर एशियाई मुद्राओं में गिरावट आई। देश के इंटरबैंक फॉरेक्स एक्सचेंज में रुपये में कारोबार 68.72 के स्तर पर शुरू हुआ। आयातकों और स्थानीय बैंकों की भारी खरीद के चलते रुपया 43 पैसे गिरकर 69.06 पर पहुंच गया। इस बीच फाइनेशियल बेंचमार्क्स इंडिया (एफबीआइएल) ने रेफरेंस रेट डॉलर के लिए 68.8331 और यूरो के लिए 80.1153 तय किया।
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