
सूर्य नमस्कार में पांचवां आसन है पर्वतासन है। इस आसन के दौरान शरीर का आकार पर्वत शिखर के समान दिखाई देने के कारण इसे पर्वतासन कहा जाता है। पर्वतासन को वियोगासन भी कहा जाता है। पर्वतासन योग का सबसे महत्वपूर्ण आसन है। इस आसन के कई फायदे होते हैं। योग ट्रेनर कुसुम लता पटेल ने बताया कि पर्वतासन करने से फेफड़े स्वस्थ और साफ रहते हैं। पीठ और पसलियां मजबूत हो जाती हैं। यह आसन सांसों की बीमारियों को दूर करता है।
पर्वतासन करने की विधि :- इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं। इसके बाद आगे झुकते हुए दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें। दोनों पैर को पीछे ले जाएं। हाथों और पैरों के बीच लगभग 4 फीट का अंतर रखें। यह अंतर इंसान की लंबाई के हिसाब से कम ज्यादा हो सकता है। नितम्ब को उठायें और सिर को भुजाओं के बीच ले आएं, जिससे पीठ और पैर एक त्रिभुज की दो भुजाओं के समान दिखाई दें। पूरे शरीर का भार हथेलियों और पंजों पर रखें। प्रयास करें कि एड़ी जमीन को स्पर्श करे। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुकें। अंतिम स्थिति में पैर और भुजायें सीधी रहें। अभ्यास करते समय इस बात का ध्यान रखें कि अधिक जोर लगाने का प्रयास न हो। फिर वापस पहले की स्थिति में आएं।
श्वसन- पैर को पीछे ले जाते समय श्वास छोडें।
सजगता- नितम्ब को शिथिल करने पर, गले के आसपास ।
मंत्र- ओम खगाय नमः।
लाभ- यह आसन भुजाओं और पैरों की पेशियों, स्नायु को शक्ति प्रदान करता है। मेरूदंड को मजबूत करने के साथ शरीर में रक्त संचार बढ़ाता है।
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