
नाजुक वित्तीय हालत से गुजर रही राज्य सरकार सिर्फ बाजार से 88 हजार करोड़ रुपए का कर्ज उठा चुकी है। यह कर्ज गवर्नमेंट सिक्युरिटी को बेचकर उठाया गया है, जो राज्य सरकार के कुल कर्ज के पचास प्रतिशत से ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के ऊपर मार्च 2018 तक एक लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में भी मप्र तीन हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाजार से ले चुका है। राज्य सरकार दस साल के लिए अपनी गवर्नमेंट सिक्युरिटी बेचकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के माध्यम से दस साल के लिए विभिन्न् वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेती है। इसमें कई बैंक भी शामिल होते हैं।
ज्यादा लगता है ब्याज :- बाजार से कर्ज उठाने पर राज्य सरकार को अन्य लोन के मुकाबले ज्यादा ब्याज देना होता है। सूत्रों के मुताबिक बाजार के वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेने पर राज्य सरकार को करीब 5 से 9 प्रतिशत का ब्याज चुकाना पड़ता है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार ने कुल कर्ज के एवज में लगभग 12 हजार करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाए हैं, जो कुल बजट का लगभग 6 प्रतिशत है। पिछले वित्तीय वर्ष में बाजार का कर्ज सरकार के ऊपर लगभग 78 हजार करोड़ रुपए था, जो बढ़कर 88 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। राज्य सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष के आखिरी महीनों में भी मार्केट से लोन लेना पड़ा था, इस पर सरकार को ब्याज ज्यादा चुकाना पड़ेगा।
मार्च 2018 तक सरकार द्वारा विभिन्न् माध्यमों द्वारा लिया गया कर्ज
- बाजार से-- 88,491.64
- कंपनसेशन और अन्य बांड--7501.92
- वित्तीय संस्थानों से कर्ज-- 10,469.67
- केंद्र सरकार से लिया कर्ज और एडवांस-- 15,340
- अन्य कर्ज-- 15,921.36
विशेष सुरक्षा निधि-- 23,147.31
(राशि करोड़ रुपए में)
No comments:
Post a comment