
पूर्ण कर्ज मुक्ति, सुनिश्चित आमदनी और स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करवाने के मद्देनजर एक से दस जून तक प्रस्तावित गांव बंद को लेकर सरकार सतर्क हो गई है। दरअसल, किसान संगठनों ने गांव से शहर में कोई वस्तु न भेजने की अपील की है। इससे शहरों में दूध, सब्जी सहित अन्य वस्तुओं का संकट पैदा हो सकता है। यही वजह है कि खुफिया तंत्र को सक्रिय रहने के साथ कलेक्टरों को जनता से संवाद बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैें। उधर, कांग्रेस ने किसानों के आंदोलन को समर्थन देने की रणनीति बनाई है। छह जून को मंदसौर में बड़ा कार्यक्रम भी करने की तैयारी है।
सूत्रों के मुताबिक देश के 172 किसान संगठनों ने एकराय से एक से दस जून तक गांव बंद आंदोलन छेड़ने का फैसला किया है। गांववासियों को इसके लिए तैयार करने किसान संगठनों के प्रतिनिधि गांव-गांव में बैठकें कर रहे हैं। संगठन पदाधिकारियों की रणनीति है कि इन दस दिनों में गांव से कोई भी वस्तु शहर न आए, ताकि आंदोलन की ताकत का अहसास सरकार को हो सके। वहीं, कांग्रेस आंदोलन के दरम्यान ही छह जून को मंदसौर गोलीकांड की बरसी पर बड़ा कार्यक्रम करके चुनावी शंखनाद करने की तैयारी कर रही है। इस दौरान पार्टी की किसान कलश यात्रा भी मंदसौर पहुंचेगी। कार्यक्रम में प्रदेश के सभी बड़े नेता जुटेंगे।
दूसरी ओर सरकार ने भी अपने स्तर पर इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी है। खुफिया तंत्र को पूरे प्रदेश में सक्रिय कर दिया गया है तो सरकार के स्तर पर भी इन दस दिनों में किसानों को लेकर बड़े कार्यक्रम किए जाएंगे। दस जून को ही गेहूं बेचने वाले किसानों को 265 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। उधर, मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे अतिरिक्त सतर्कता बरतें, यह सबसे चुनौतीपूर्ण समय चल रहा है। अनाज की खरीदी हो रही है तो कुछ जगह पर पेयजल संकट के हालात भी हैं।
उधर, सत्ता और संगठन ने किसानों के बीच जाने की तैयारी तेज कर दी है। इसमें यह बताया जाएगा कि भाजपा सरकार ने किसानों को कब-कब, कैसे-कैसे कितना लाभ पहुंचाया, इसकी सिलसिलेवार जानकारी दी जाएगी। प्रदेश को पौने तीन हजार से ज्यादा क्लस्टर में बांटकर कार्यक्रम होंगे। हालांकि इसकी तारीखें अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुई हैं।
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