
आधार मामले में संविधान पीठ में बुधवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता जयराम रमेश की ओर से दलील देते हुए पी चिदंबरम ने कहाकि आधार को मनी बिल के तौर पर पेश करना गलत है. यह संविधान के साथ धोखा है. इसे मनी बिल के तौर पर सिर्फ इसलिए लाया गया ताकि राज्यसभा की छानबीन से बचा जा सके. आधार को मनी बिल के तौर पर पास करने के स्पीकर के फैसले को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.
संविधान पीठ ने आधार की अनिवार्यता की डेडलाइन बढ़ाने पर केंद्र से कहा कि आपको ये डेडलाइन बढ़ाने पर जल्द फैसला लेना चाहिए. देरी से फैसला लेने से लोगों को परेशानी होगी क्योंकि इसमें बैंक समेत वित्तीय संस्थान जुड़ी हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार ने फैसला नहीं लिया तो कोर्ट अगले हफ्ते आदेश जारी करेगा.
AG केके वेणुगोपाल ने कहा कि डेडलाइन 31 मार्च में वक्त है और सरकार ब्यौरा इकट्ठा कर सारे पहलुओं को देख रही है. इसके बाद सरकार इस पर फैसला लेगी. कोर्ट ने कहा कि वक्त पर फैसला लिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अरविंद दातार ने कहा कि दिसंबर 2015 में संविधान पीठ ने आदेश दिया था कि सिर्फ छह योजनाओं को छोड़कर आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा. अब सरकार ने इसे अनिवार्य बना दिया है और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है. कोर्ट को संज्ञान लेते हुए अवमानना नोटिस जारी करना चाहिए.
No comments:
Post a comment